फूलों का तोहफ़ा
फूलों का तोहफ़ा
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फूलों का तोहफ़ा पाकर ख़ुशी से चंद फूल गए थे छूने
मगर बेख़बरी में किस्मत ने, ग़म के ख़ार लिए थे चुने
आँखों ने ख़्वाबों को रंग दिया, रंगीन गुलदस्ता देखकर
तिल-तिल बिखर गए, अँधेरे में जो सपने लिए थे बुने
ज़ख़्म पर मरहम मांगा था, दिल में घाव दे गया हकीम
उससे ही दर्द लेकर आ गए, जिसे हमदर्द गए थे बनाने।