"फूल गुलाब"
"फूल गुलाब"
हर तरफ खिल रहे, आजकल चापलूसी के बाग है
इन बीच कैसे खिलेंगे स्वाभिमान के जिंदा गुलाब है
उनको बहुत, चुभने लगे, आजकल ये फूल गुलाब है
जिनके भीतर लगा हुआ, बेईमानी का गहरा दाग है
आजकल हर घर में पाये जाते, ऐसे ज़हरीले नाग है
जो अपना दूध पी, खिलाफ उगलते जहर बेहिसाब है
सबको चाहिए बस कम समय में लाभ ही लाभ है
इसलिये गधों को बना रहे, कुछ आज अपना बाप है
क्या इन गधों ने जीता है, कभी कोई युद्ध खिताब है?
ये गधे खा रहे है, गुलाब जामुन जैसे मिष्ठान आज है
गधे की पूंछ पकड़, कुछ समझ रहे, खुद को सिंह आज है
पर सिंह के आगे झुक जाते है, सब गधे एक साथ है
पर अँधेरा मिटाता है, केवल दुनिया में वो ही चराग है
जिसके भीतर जल रही, स्वाभिमान की जिंदा आग है
यूं इस दुनिया मे कई सारे रंग-बिरंगे फूल हजार है
असल फूल गुलाब है, जो शूलों में हंसता हर बार है
वे व्यक्ति दुनिया में एक चलती फिरती हुई, लाश है
जिनका जमीर बिक चुका, चंद पैसों के लिए, आज है
चाहे कुछ बेईमानों के चल जाये, दरिया में जहाज है
पर तूफानों में टिकते, सिर्फ ईमानदार लोग जांबाज है
कपटी, सर्प सरीखे लोग आ जाये हरकतों से बाज है
न तो कभी कोई ईमानदार, पकड़ लेगा गर्दन बाज है
अंत समय में छटपटाते केवल लोग यहां दगाबाज है
सच्चाई पर ओर कोई न, खुद तो कर सकते नाज है
अंत वक्त में सच्चा कर्मवीर ही पाता जीवंत ताज है
वो कभी न हो पाते परिंदे, आसमान में भी आजाद है
जो चापलूसी, बेईमानी स्वर्ण पर लगा उड़ते आकाश है
स्वाभिमान, सच्चाई सदैव रहती साखी जिनके साथ है
जिनकी आंसुओं में बरसती स्वाभिमान की आग है
उसके आंसू भी कम नहीं होते, गंगाजल से पाक है
जिसके लहू में हिमालय से ऊंचा प्रताप सा ईमान है
वो व्यक्ति बनता, इस दुनिया में फूल गुलाब लाजवाब है।