फूल बन बिखर जाऊँ
फूल बन बिखर जाऊँ
जिस पथ पर तू चले
मैं बन के फूल बिखर जाऊँ
तेरे चरणों को छू कर फिर
कुछ पल जीयूॅं या मर जाऊँ
इक बार जो तू छू ले मुझे
मैं फिर से ज्यों महक जाऊँ
कटीले कंकड़ है राह में
मैं तेरे लिये सब सह जाऊँ
तू पथिक रहे रोशन सदा
और मैं मोम सा बह जाऊँ
जिस पथ पर तू चले
मैं बन के फूल बिखर जाऊँ

