फरवरी के जलवे
फरवरी के जलवे
दिलकश फरवरी की शीत बयार में
एक गीला एहसास है
तुम कहो तो कह दूँ ?
पास नहीं तू ये कमी ही तेरी खास है,
दूरी का गम नहीं तू भूल न जाना कहीं वादा
दिल को उम्मीद पे ये इख़तियार है !
बर्फ़िले मौसम से बहता है रोमांस
याद आ रहा वो पिछले साल का मधुमास है
वो तुम्हारे काँधे पर मेरे गेसूओं का लहराना,
हौले से तुम्हारी ऊँगलियों का लटों को सुलझाना याद है !
करवट की नर्मी को संग बिताए लम्हों का साथ है,
साँसों की गर्मी से वो तन-मन का पिघलना
दिल को वो यादें कहाँ रास है
ठंड के मौसम में जलाते मारती गर्म अश्कों की मार है !
गरदन के तिल पर मचलते जामुनी मोहर का
इतराते जलाना मेरे अंग-अंग में लगी आग है,
ये दिसंबर की शरारत में तुम्हारा साथ ना
होना अपनी मोहब्बत की हार है।
तन्हा है दिल, तन्हा लम्हें, तन्हा सुबह-शाम है,
आ जाओ अब नर्म स्पंदन को चाहत की
आँच देने देखो ना ये फ़रवरी के जलवे लाजवाब है।

