पहली बारिश और तुम
पहली बारिश और तुम


छ्म छम करती आ गयी मौसम की पहली बारिश
जैसे पहले प्यार ने दी हो दस्तक दिल कि इस दहलीज़ पर,
गूंज उठी शहनाई सी मौसम की पहली बारिश
कुंवारी कली के मन में छेड़छाड़ करती हो जैसे
पहले प्यार कि अंगड़ाई,
वर्षा का आंचल लहराया, छाई दिल पर हरियाली
सारी दुनिया महक उठी, मन मयूर बन चहक उठा,
बूंदों ने की सरगोशी, खेल रही ज़ुल्फ़ों से मेरी
सोंधी मिट्टी चहक उठी यूँ,
मनमीत कि खुशबू महक उठी, मैं नशेमन में बहक उठी,
मस्ती बनकर दिल में छाई सावन की पहली बारिश
और याद किसी की आने लगी,
कलियों में मुस्कान है तुझसे, तबस्सुम छ
ाया फूलों में,
दिल में खिलते अरमानों कि डोली यूँ सजने लगी
झूम रही है पुरवाई मौसम के संग मचल उठी,
साथ पिया का पाने को दिल कि आग दहक उठी,
आज घटाएं और बादल, कर रहे अटखेलियां
प्रीत की बौछारें लाई मौसम की पहली बारिश
घुंघरू सी बजने लगी छम छम बूंदे बरखा कि,
हरियाली सौग़ातें लाई मौसम की पहली बारिश
सरक गया बदली का घूंघट, झूम के सावन नाच उठा,
दामिनी जब गरज उठी, दिल अचानक मुस्काया
उस पल हमदम तेरा चेहरा, याद बहुत हमको आया,
नैनों पर तब शरमा कर पलकों ने झालर बून दी
छम छम करती आ गयी मौसम की पहली बारिश ॥