पहली और आखिरी मुलाकात
पहली और आखिरी मुलाकात
ये पहली मुलाकात है हमारी,
हम बिल्कुल ही अजनबी थे।
निगाहें मिल रहीं थी हमारी पर,
आसपास दिख रहे सभी थे।
ना वो बात कर रहा था ना ही मैं,
पर बात करने की चाहत अंदर थी।
चलो मुलाकात तो होती रहेगी,
ऐसे ही एक राहत अंदर थी।
अब उनकी सुबह मुझसे होती है,
और शाम मुझ पर खत्म होती है।
पर वो कहते हैं कि उन्हें प्यार नहीं,
फिर जाने क्यों मेरी आंखें रोती है।
जब नशे में इजहार करते हो तो,
मान लेते हैं यह इकरार नहीं है।
जब जान लुटाने के बाद करते हो तो,
मान लेते हैं कि कोई प्यार नहीं है।
पर उसका क्या तुम्हारे दोस्त कहते हैं,
तुम मुझसे बेइंतहा प्यार करते हो।
मैं ना रहूं कभी आसपास तो भी
तुम सिर्फ मेरी ही बातें करते हो।
चलो छोड़ो जाने दो,
आज आखिरी मुलाकात थी हमारी,
पर हम पहले जैसे अजनबी नहीं थे।
निगाहों से निगाहें दोनों चुरा रहे थे,
पर आसपास कुछ देख रहे नहीं थे।