पैसे की हवस
पैसे की हवस
जिंदगी रूपी नाव में पैसा कमाने की जैसे होड़ सी लग गई,
अब तो इंसान की इंसानियत ही नहीं रही।
वह तो अब हैवानियत पर उतर आया है,
पैसों की चाहत ने इंसान को इतना कमजोर बना दिया है।
चाहे किसी का खून करना पड़े,
या किसी की जिंदगी की सांसो को छीनना पड़े।
जीने के लिए पैसा कमाना चाहिए,
ना कि पैसे के लिए जीना चाहिए।
दाल में नमक डालना चाहिए,
ना कि नमक में दाल डालनी चाहिए।
न जाने कितनों को अपनी आंखों के सामने भूल जाते देखा है,
वह अपने इस रूप का डंका बजा रहे है।
पैसे कमाने की चाहत में न जाने कितने खाक हो गए,
जिसमें इंसान ने अपना जमीर बेच दिया।