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Dr Mahima Singh

Classics Inspirational

4.5  

Dr Mahima Singh

Classics Inspirational

पार्वती श्रृंगार

पार्वती श्रृंगार

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मैया मेरी करती कमाल है

 वो रहती है पहाड़ों पर।

मां का रूप है अनोखा,

कहूं कैसे,करूं कैसे वर्णन।


जो उनका रूप है प्यारा।

 सुहानी लाल रंग बिंदी

मुकुट सिर पर सुशोभित था 

लगाती वो लाल रंग सिंदुरा

सुन के पुकार, मुस्कुरा कर 

आशीष वो लुटाती है,

मैया मेरी कमाल करतीं हैं।


हाथों में कंगना सुशोभित था,

 रच रही थी लाल रंग मेहंदी

खन खन खन बज रही चूड़ियां

मैया मेरी भीना भीना कजरा नैनो में,


बालों में लाल रंग 

 गजरा सुशोभित है 

पहनती लाल रंग साड़ी

सिर पर चमचमाती धानी रंग चुनरी।

लुटाती भक्त पर प्यार वो सारा।

मैया मेरी---


पैरों में लाल रंग बिछुआ

 छन छना छन बज रही पायल,

सुशोभित लाल रंग महावर पैरों मे

चरण रखती जहां वहां शुभ करती

मैया मेरी---


मां मां करके सोलह सिंगार 

ऐसे सजती हैं अमर करती 

सुहागिनों के सुहाग।

मैया मेरी आसन पर विराजे हैं

अभय करती हाथ उठाकर वो,

कहूं कैसे,करूं कैसे वर्णन,

वो कितनी करुणामई है,

वो भरती गोदी खाली है,

अमर सुहाग का वर वो देती हैं।


सोलह सिंगार कर,

भोले को रिझाती हैं

वो शिवप्रिया कहलाती हैं

वह जग की मैया है,

शिव के वामांग विराजे हैं,

लुटाती भक्तों पर प्यार सारा,

मैया मेरी कमाल करती हैं,

ऊंचे पहाड़ों पर रहती है।


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