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डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम'

Drama

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डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम'

Drama

पापा जरा बताओ ना !

पापा जरा बताओ ना !

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मैं छोटा सा स्टूडेंट हूं

पुस्तक-प्रेमी और शैतान,

पढ़ लिखकर सारे ही जग में

पापा की बढ़ाऊंगा शान।


मन में एक पहेली उभरी

हाय !जरा सुलझाओ ना

"लक्ष्मी जाए सरस्वती आए"

कथन सही, बतलाओ ना

दौर रखेगा अब ये कैसे ?

पापा जरा बताओ ना।


समय तराजू पर चढ़ बैठा

मैं नन्हा सा नौनिहाल,

मेरे पापा खूब कमाते-

फिर भी ना रहते खुशहाल।


ढेरों रुपया फीस में भरें

चैन उन्हें तो आए ना,

जो करते हैं लूटमार सी

हमको तो वो भाए ना।


दौर रुकेगा अब ये कैसे ?

पापा जरा बताओ ना।


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