ओ' मेरी मांँ
ओ' मेरी मांँ
बहती हुई नदी की, धारा सा निश्चल, अविरल है स्नेह तेरा
चाहकर भी क़र्ज़ तेरा, कभी चुका ना पाऊँगा, ओ' मेरी माँ।
पहली धड़कन भी तो मेरी, माँ, तुझ में ही तो धड़की थी
कुछ भी नहीं, वज़ूद मेरा, अलग होकर तुझसे, ओ' मेरी माँ।
खामोश मेरी ज़ुबां को, शब्द दिया है तूने, तू ही मेरा ब्रह्मांड
तेरा आँचल ही है, जमीं मेरी और आसमां भी, ओ' मेरी माँ।
जब खोली आँखें पहली बार, तुझे ही सामने, पाया था मैंने
तेरी ममता के नूर से ही तो ज़िंदगी मेरी रोशन, ओ' मेरी माँ।
कोरा काग़ज़ था मन मेरा, अभिलाषाओं का रंग तूने ही भरा
तुझसे ही तो मेरे जीवन का, हर रंग उज्ज्वल, ओ' मेरी माँ।
थामकर मेरी उँगलियों को, पग- पग चलना तूने ही सिखाया
तेरे नेह भरे कर का स्पर्श कभी भूला न पाऊँगा, ओ'मेरी माँ।
कितनी ही रातें जागकर काटी तूने, सुलाया मीठी नींद मुझे
ऐसी निस्वार्थ ममता बस तू ही लूटा सकती है, ओ' मेरी माँ।
तूफ़ान का तेज़ भी रोक दे ऐसा निर्मल झरने सा है स्वर तेरा
ज़िंदगी की तपती धूप में तू ही तो शीतलता है, ओ' मेरी माँ।
मेरी पलकों में खिलते ख़्वाबों को, सहलाया, आकार दिया
आज जो कुछ मेरे पास, सब तेरा ही तो दिया ,ओ' मेरी माँ।
तू मेरा जीवन सार, तू ही आधार, तू मेरे सर्वस्व की पहचान
मेरी हर एक साँस पे, है अधिकार तेरा ही पूर्ण, ओ' मेरी माँ।
दुःख खुद के दामन में समेटे, मुझे सुख की खुशबू में पाला
कितने भी जन्म ले लूँ, क़र्ज़ चुका ना पाऊँगा, ओ' मेरी माँ।