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Amit Kumar

Romance

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Amit Kumar

Romance

नुमाइश

नुमाइश

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सब जानते है

चाँद की नुमाइश का सबब

किसी के महबूब का

इंतखाब है यह चाँद

हर चाँद की आजमाइश में

होता है एक नूर

जो तोड़ देता है

दिल के पास बाबस्ता

हर चार दीवारी को

और भेद जाता है

हृदय में कहीं गहरे में

जहाँ कचोटने लगती है

तनहाइयाँ

काटने लगती है

महफिलें

सुकून मिलने लगता है

खुद से बात करने में

आवारा बंजारा बन

दर - दर भटकने में

और तब जाकर

जान पाते है हम

इस चाँद की नुमाइश को


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