नथिंग इज़ फ्री
नथिंग इज़ फ्री
इस जहाँ में कुछ भी फ्री नहीं है...
जिंदगी के लिए ज़रूरी साँसे लगती तो फ्री है लेकिन ऑक्सिजन के बदले कॉर्बन डाई ऑक्साइड वापस देना पड़ता है...
रात के बदले दिन मिलता है और चाँद के बदले सूरज.....
पेड़ काटने के लिए कुल्हाड़ी में डंडा भी लकड़ी का ही लगाना पड़ता है.....
लकड़ी जलाने वाली माचिस की तीली में फॉस्फोरस भी लकड़ी पर लगता है....
तपती धरती पर बारिश की बूँदें यूँ ही नहीं बरसती है....
जरा वॉटर साइकिल को याद करके देखिये......
जमीन भी बीज बोने पर ही अनाज देती है साथ ही हड्डियों से फ़ॉस्फ़रस और बाकी मिनरल्स लेने के बाद ...
और क्या क्या बताएँ .... एक लम्बी लिस्ट बन सकती है......
बिना लेन देन से दुनिया नहीं चल रही है जनाब.....
तो लाख टके की एक बात... इस जहाँ में कुछ भी फ्री नहीं मिलता है...
