भागते - भागते थक गई हूँ ,
अब थोड़ा ठहरना चाहती हूँ ,
इन बहते हुए अश्रुओं को ,
यहीं कहीं समेटना चाहती हूँ |
गर किसी ने देख लिए ,
तो कितनी बदनामी होगी ?
देखो ये हार गई है .....
हर जुबां पर नई कहानी होगी |
जिनसे थोड़ी मोहब्बत की थी ,
आज उन्होने भी ऐसा ठुकराया ,
विश्वासघातिनी नाम देकर ....
कितना बड़ा धर्म निभाया |
हम यहाँ टूट रहे थे अंदर ,
उन्हे कुछ पता नहीं था ,
अजीब सा जलजला उठा था ,
अंदर एक दिल जला था |
-size: 16px;">