कर्मों की अच्छाई
कर्मों की अच्छाई
अजीब सा रुदन था चारों ओर ,
मैं भी उस रुदन में बह गई ,
इस शरीर और आत्मा के उलझन में ,
अश्रुओं की धारा दिल में सह गई |
बड़ा दर्द होता है जब कोई अपना ,
ये दुनिया छोड़ चला जाता है ,
हजारों अपनों को बेगाना करके ,
मनुष जीवन से मुक्ति पाता है |
पीछे उसके परिवार वाले ,
फिर चाहे कितनी आवाज लगा लें ,
मगर जानेवाला तब तक ,
चला जाता हर बंधन को त्यागे |
यूँ तो सभी को चले जाना है ,
एक-एक करके इस दुनिया से ,
मगर जो जाता पूरे फर्ज निभाकर ,
उसके लिये दुआएं निकलती दिलों से |
ये मौत जिन्दगी का खेल भी ,
बड़ा ही रंगीन होता है यारों ,
जहाँ मौत रुलाती जी भर-भर के ,
वहीं जिन्दगी हँसाती देखो प्यारों |
मैं ज्यादा अश्रु ना बहा सकी ,
अपनी भगिनी समान भाभी पर ,
मगर दिल से श्रद्धांजलि देती रही ,
उनके कर्मों की अच्छाई पर |
इसलिये हमेशा याद रखना ,
कि कर्मों से ही इंसान की पहचान है ,
वरना तो इस संसार जगत में ,
हम तुम जैसे ना जाने कितने इंसान हैं ||
