ननिहाल की यादें
ननिहाल की यादें
गर्मियों की छुट्टी वाली मस्ती की जाती नहीं ख़ुमारी,
बार-बार आती हैं मुझको मधुर याद, ननिहाल तुम्हारी।
खाना रोज नानी के प्रेम पगे, विविध व्यंजन,
मामा के बच्चों संग, करना दिन-रात हुड़दंग।।
नाना संग करना, दुनिया-जहान की बातें,
पड़ोसियों-दोस्तों से, करना मुलाक़ातें ।
खेत-बागानों में घूमने जाना, बना कर टोलियां,
कच्चे-पक्के आम चुराना और करना मनमौजियां ।।
भरी दुपहरी खेलना, चंगा-पो ओ' गिल्ली-डंडा,
सतोलिये, कंचे, छुप्पा-छुप्पी, कभी लेना पड़ोसी से पंगा।
पकड़े जाने पर, मम्मी की पड़ती डांट ज़ोरदार,
साथ में फ्री के मिलते थे झापड़ चार।।
पर फ़िर भी कम ना होती हमारी शैतानी,
किसी ने हमें छेड़ा तो, याद दिला देते उसे नानी।
मामा का टॉफी दिलवाना, मामी से लेना कुल्फी,
कभी बर्फ़ का गोला तो, कभी तोड़ना अमियाँ-इमली।।
मिश्री-माखन नानी देती, लेती प्यार से बलइयाँ,
नाना प्यार से लाते कचोरी, समोसे, जलेबी-रसमलइयाँ।
रात में नानी सुनाती कहानी, परियों एवं राजा-रानी वाली,
नाना से अक्सर होती थीं, विज्ञान की बातें निराली।।
मौसियां भी हम पर खूब प्यार लुटाती थीं,
उपहार में ढ़ेर खिलौने और कपड़े लाती थीं।
कभी सिनेमा, शॉपिंग मॉल, कभी सर्कस, चौपाटी हमें घुमाते थे,
आइसक्रीम, छोले-भटूरे, पिज्जा और पानी-पूरी भरपूर खिलाते थे।।
पापा के आने की खबर सुन, मन बहुत घबराता था,
ननिहाल छोड़ने पर मम्मी से ज़्यादा हमको रोना आता था।
काश! कुछ दिन और रुक पाते, थोड़ी और मौज मस्ती कर पाते,
स्कूल खुलते ही फिर से, छुट्टियों का इंतज़ार शुरू हो जाता था।।
पर हाय! अब ना रहे नाना-नानी, रहा ना वह प्यारा ननिहाल,
मामा-मामी बूढ़े हो गए, बच्चे बस गए समुन्दर पार।
पर अब भी आती है, मधुर यादें ननिहाल तुम्हारी,
स्मृति में अक्सर घूम जाती, नानी की मनुहार भरी चिट्ठियां।
मामा संग घूमना उन्मुक्त, मौसियों की प्यार भरी झप्पियाँ
जीवन पर्यन्त न भूलेंगी, वह खट्टी-मीठी स्मृतियाँ।।
