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S Ram Verma

Romance

3  

S Ram Verma

Romance

नियत और नियति !

नियत और नियति !

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कभी सिहरता 

कभी महकता 

कभी तपता 

कभी भींगता 

कभी स्वतः यूँ ही 

पिघलता और मैं 

यूँ भी आनंदित था 

पर विचलित ना था 

जानता था कि ये  

तुम्हारी नीयत न थी 

नियति के चक्र में 

तुम भी बंधी थी

पर दुख तो ये था 

कि तुम ये भूल गयी थी  

कि तुम्हारे चक्र में मैं 

भी तो बंधा था !


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