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Lata Bhatt

Inspirational

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Lata Bhatt

Inspirational

निकल पड़ी मैं

निकल पड़ी मैं

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कल मेरे घर के सामने,

खड़ा था एक रास्ता,

मुझे ले जाने के लिए।

पता नहीं कहाँ गया

चलना मैं चूक गई

मुझे क्या पता

थोड़ी देर के लिए ही आया था।

कल सुबह जब आँख खुली,

तब देखा था मैंने,

सोचा चल लूँगी,

पूरा दिन पड़ा है

ऐसे ही रात हो गई ।


आज देखा,

वह ग़ायब हो गया

पता नहीं कब मिलेगा

कई रास्ते ऐसे ही गँवा दिए।

लेकिन आज दूसरा

रास्ता खड़ा है,

मुझे ले जाने के लिए।


कई दूर दूर

मुझसे भी दूर

निकल पड़ी मैं

और खोये हुए

सब रास्ते मिल गए ।

मुस्कुराकर मैंने उन्हें

गले लगा लिया।



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