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Lata Bhatt

Abstract

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Lata Bhatt

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मेरे घर कब आओगे कन्हाई

मेरे घर कब आओगे कन्हाई

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सिखाने के लिए मुझे प्रेम अक्षर ढाई, 

कहो, मेरे घर कब आओगे कन्हाई।


प्यार के मामले में मैं बिलकुल ढ,

अभी अभी सिख रही हूँ क ख़ ग घ, 

आगे का अक्षर कभी समझ न पाई, 

कहो, मेरे घर कब आओगे कन्हाई।


लेकर बैठी मैं कागज़ व कलम,

वही ग़लती करती रही जनमों जनम, 

अब मेरा दिल ही मेरे साथ में लाइ 

कहो, मेरे घर कब आओगे कन्हाई।


जो भी कहो वह शर्त मुझे मंज़ूर है,

मन सीखने को वह बात आतुर है,

जो तुमने मीरा को बैठ के सीखाई,

कहो, मेरे घर कब आओगे कन्हाई।


सिखाने के लिए लगेगा दो पल, 

मेरा जीवन हो जाएगा सफल, 

गुरु दक्षिणा चुका दूंगी पाई पाई, 

कहो, मेरे घर कब आओगे कन्हाई।


सिखाते समय थोड़ी दूरी बनाये रखना,

श्याम, मुझे अभी तुम में नहीं पिघलना,

देखना है प्यार में मिलन और जुदाई ,

कहो, मेरे घर कब आओगे कन्हाई। 



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