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Lata Bhatt

Abstract

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Lata Bhatt

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तांका

तांका

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रात अँधेरी,

दिया जलाते चलो,

एक अपना ।

और इस दीपसे,

कई दीप जलाओ।


सुबह शाम,

एक जी काम करो,

नाम रटना,

राम हो श्याम या तो,

बस जो भी जी आये।


फाड़कर क्यूँ,

फेंक दू जिंदगी के,

कुछ पन्ने ये।

फिल्म बने अगर,

काम आयेंगे वहीं।


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