कैसे बताऊं
कैसे बताऊं
कैसे बताऊं सब को,
क्या है तेरे मेरे बीच का रिश्ता,
जब मैं खुद ही नहीं समझ पाई।
सदियों से चला आया है,
सदियों तक चलेगा,
कभी सोचा ही नहीं,
कैसे सोचूं इस के बारे में,
तू जो आँखो के सामने ही रहता हैं।
कभी जरुरत ही नहीं पड़ी
इस रिश्ते को नाम देने की।
यही तो मेरी पूंजी है
कैसे खोल दूँ सब के सामने,
क्यूँ बताऊं सबको,
क्या है तेरे मेरे बीच का रिश्ता।

