राम -रहीम
राम -रहीम
रहीम ने कहा राम से,मस्जिद में कभी आना,
हम अपनी सुनायेंगे,तुम भी अपनी सुनाना।
देखो मेरे बंदे के लहू का रंग लाल हैं
वही है तुम्हारे भक्त का, दोनों धरती के बाल हैं
फिर भी क्यूँ झगड़ते है,लेकर हमारा बहाना,
मैनें तो अपनी सुना दी तुम अपनी सुनाना।
जिसने बनाइ मस्जिद,मंदिर भी उसने बनाया,
राम और रहीम दोनों एक ही अक्षर से आया,
अब तो रहेगा हमारा, मस्जिद मे आना जाना
मैनें भी अपनी सुना दी, तुम अपनी सुनाना।
राम या रहीम कुछ भी जपो तुम माला,
लेकिन बादमें धंधा, शुरु न करना काला,
वह बन बैठे न मसीहा,जिसने खुदको ही न जाना,
दोनों ने अपनी सुना दी, तुम अपनी सुनाना।
