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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy Inspirational

निकहत जरीन-पक्षपात

निकहत जरीन-पक्षपात

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कितनी ज्यादा अजीब यह बात है

सावन में भी हुई अधूरी बरसात है

जीता विश्व चैंपियनशिप खिताब है

फिर भी न हुई,ईनामों की बरसात है


क्या महिला होना,इतनी बुरी बात है?

जो न हुई ईनामों की घोषणा आज है

नीरज चोपड़ा हमको अच्छे से याद है

जिसने जीता,स्वर्ण पदक लाजवाब है


सरकार ने सम्मान किया,शानदार है

25 करोड़ ईनाम दे,किया इरशाद है

विश्वमुक्केबाजी जीता जो खिताब है

क्या वो निख़त जरीन भी ज़रा याद है?


इस पक्षपात से साखी,बेहद निराश है

खेलों में भी क्या राजनीति का दाग है?

खेलते रहो,हिंद नाम रोशन करते रहो

निकहत पर हर भारतीय को नाज है


हर भारतीय चाहता,आगे बढ़ो आप है

यह नेता लोग तो करते है,पक्षपात है

पर साखी कहता अपनी,बात बेबाक है

आजकल यह,जमाना बड़ा खराब है


छोड़ भी दो खेल-खेल में भेद करना,

छोड़ भो दो स्त्री-पुरुष में भेद करना,

छोड़ भी दो सब हिन्दू-मुस्लिम करना

छोड़ भी दो आपस मे लड़ना-झगड़ना


एकता से ही,आगे बढ़ेगा यह हिंदुस्तान है

चाहे मिले फूलों के पथ पर शूल हजार है

पर नही तोड़ना भीतर का तू हिंदुस्तान है

भीतर अशफाक,भगत जैसे मां के लाल है


भीतर बदी का कर दो,तुम इंतकाल है

देश भक्ति की जलाओ,ऐसी मशाल है

देशद्रोही,सब जलकर वो जाये खाक है

देशभक्ति मतलब,संपूर्ण अवाम ख्याल है


इस पक्षपात की तोड़ दो,सब जन टांग है

इस पक्षपात ने दिए हमको जख्म हजार है

प्रतिभा शीशे पर फेंके पत्थर बेबुनियाद है

इस पक्षपात का कर दो,आज हिसाब है


आओ देश प्रगति का लाये वो इंकलाब है

हिंदुस्तान को बनाये,हम फिर से महान है

सुबह प्रार्थना में नाम ले,सिर्फ़ हिंदुस्तान है

फजर नमाज में याद करे,सिर्फ हिंदुस्तान है


चंद गद्दारों के बहकावें में न करे पक्षपात है

हर हिंदुस्तानी,यहां पर सुलेमानी तलवार है

सबके हृदय मंदिर में बसा सिर्फ हिंदुस्तान है

इसके लिये जीये-मरे करे,वो कर्म महान है


हर खेल होता अपने आप मे लाजवाब है

हर प्राणी होता अपने आप मे आफ़ताब है

जिस दिन करता,व्यक्ति खुद से मुलाकात है

मिट जाते हैं, फिर उसके हर दुःख तमाम है।


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