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✨Nisha yadav✨ " शब्दांशी " ✍️

Tragedy Inspirational

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✨Nisha yadav✨ " शब्दांशी " ✍️

Tragedy Inspirational

नई ज़िंदगी

नई ज़िंदगी

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जाने किस रास्ते पर चले थे हम

कि एक साथ चलते चलते रास्ते दो हो गए 

मंजिलें ना मिलीं कोई बात नहीं

मगर जाने क्यों फिर रास्ते ही खो गए 


ना राहों का कसूर, ना क़िस्मत का कसूर

हमनें ही की थी उम्मीद

जो बस था हमारा ही फितूर

हाथ खाली हुए खुशियाँ भी लौट गईं

दर्द ए दिल की दवा बनने को ना आईं


गम की रातों में चांदनी भी रूठ गई

फूलों से बैर हुआ, कलियों से दुश्मनी

काटें हैं रास आए, अब यूं ही है ज़िंदगी

ना कोई राह, ना कोई मंज़िल

फिर जाने किस मोड़ पर आ मिली ज़िंदगी


कि थम सा गया वक्त यहां

और खिल गई चांदनी

रास्ते दो हुए थे जो

आ मिले फिर एक डगर नई

वक्त है बीतता चला

हुई फिर शुरू नई ज़िंदगी।


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