नेता चुग ले वोट
नेता चुग ले वोट
जनता चाहे अमन को, नेता चाहे राड़
कैसी विडंबना हुई, खेत खा रही बाड़
खेत खा रही बाड़, चौकन्ना रहना भाई
लुट ना जाए माल, रखा करो चौकसाई
कह विश्नोई कविराय, बाद में कुछ ना बनता
नेता चुग ले वोट, फेर पछताए जनता।

