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Rameshwar Bishnoi 007

Abstract Others

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Rameshwar Bishnoi 007

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उम्र

उम्र

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छोटा हो या बड़ा हो,

सबकी एक साथ बढ़ती है।

सूरज की रोशनी सी,

हर शाम को ढलती है।

कर न गुरूर अपने आप पर,

खुद भी खाक में मिल जायेगा।

ये उम्र है जो रोज़,

हाथ से फिसलती जाएगी।


मौत न जाने इस संसार में,

कब किसे निगलती है।

रंग बिरंगी ये जिंदगी,

हर पल, हर समय।

बदलती सी रहती है,

एक ही प्रश्न होता है।

हर गरीब और हर अमीर का,

ये उम्र है जो रोज़।

हाथ से फिसलती जायेगी,


सद्भाव रखा जिसने।

इज्जत रोज़ मिलती जायेगी,

जो न बोल पाता अच्छा।

दुनिया उससे जलती जाएगी,

सत्कर्म की राह चलो तो,

सबकुछ अच्छा कटता जाएगा।

ये उम्र है जो रोज़,

हाथ से फिसलती जायेगी।

हाथ से फिसलती जायेगी।।



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