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Rameshwar Bishnoi 007

Abstract Others

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Rameshwar Bishnoi 007

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काव्य- दुल्हन

काव्य- दुल्हन

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हाथ मेहंदी सजा दुल्हन बैठी है ।

   तस्वीर यह गहरे जेहन बैठी है ।।

    

ख्वाहिशों कोई दूसरा दर देखो,

   मेरी खुशियां मेरे मन बैठी है ।।


सादगी बुलंद इस्तक़बाल लिए ,

   लकीरों में छुपाकर धन बैठी है ।।


रोशनी है सहर आफ़ताब की ,

   बेख़ुदी में कब से मगन बैठी है ।।


अब मुक्कमल हो जाये जीवन,

   मेरी अमानत मेरे रहन बैठी है ।।



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