यहॉं प्रेम का मतलब पानी है, नहीं अंतरमिलन में है। यहॉं प्रेम का मतलब पानी है, नहीं अंतरमिलन में है।
मासूम होठों में सुकुन बनके रहूं हर एक दिल में। मासूम होठों में सुकुन बनके रहूं हर एक दिल में।
मैं मस्त मगन अपने जग में। मैं मस्त मगन अपने जग में।
ख्वाहिशों कोई दूसरा दर देखो , मेरी खुशियां मेरे मन बैठी है ख्वाहिशों कोई दूसरा दर देखो , मेरी खुशियां मेरे मन बैठी है
निन्दारत इंसान का, कौन करे सम्मान। निन्दारत इंसान का, कौन करे सम्मान।
शायद माँ अपने अकेलेपन को पहचान गयी है..... कभी वह दीवार की जैसे एक खूँटी बन जाती है.. शायद माँ अपने अकेलेपन को पहचान गयी है..... कभी वह दीवार की जैसे एक खूँटी बन जा...