नेह की बाती
नेह की बाती
आओ नेह की बाती जलाये
बीते लम्हों को छोड़ पुनः
एक बार मुस्कुराये
अपने पराये का भेद भुला कर
युग-युग तक ये रीत निभाये
आओ नेह की बाती जलाये।
पुण्य कर्मों का कर अर्जन
अंधकार को दूर भगाये
सदाचार का पालन कर
सबको खुश कर जाए
आओ नेह की बाती जलाये।
हर मानव की पीड़ समझ
उसका हल सुलझाए
अनजानी राहों के मुसाफिर को
उसकी देहली तक पहुँचाए
आओ नेह की बाती जलाये।
हर स्त्री का सम्मान कर
आदर्श समाज की नीव रखें
कानून की देवी अन्धी हैं
ऐसा सोच दुराचार न करें
आओ नेह की बाती जलाये।
सबकी बुझी आस जलाए
निराशा को आशा में बदले
बुजुर्गों का मान कर
रीत प्रेम की दोहराय
आओ मिलजुल कर
नेह की बाती जलाये।