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parag mehta

Romance

5.0  

parag mehta

Romance

नाज़ुक दिल

नाज़ुक दिल

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जो अगर वो सुने को अनसुना कर जाये,

तो इस नाज़ुक से दिल को हम कैसे समझाए,

अपना ज़ोर तो चलता भी कहाँ है फिर,

अगर इश्क़ है तो आओ थोड़ा इश्क़ ही कर आयें!


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