नाज़ुक दिल
नाज़ुक दिल
जो अगर वो सुने को अनसुना कर जाये,
तो इस नाज़ुक से दिल को हम कैसे समझाए,
अपना ज़ोर तो चलता भी कहाँ है फिर,
अगर इश्क़ है तो आओ थोड़ा इश्क़ ही कर आयें!
जो अगर वो सुने को अनसुना कर जाये,
तो इस नाज़ुक से दिल को हम कैसे समझाए,
अपना ज़ोर तो चलता भी कहाँ है फिर,
अगर इश्क़ है तो आओ थोड़ा इश्क़ ही कर आयें!