नासमझ दिलबर
नासमझ दिलबर
समझने की कोशिश करो
मेरे दर्द को थोड़ा तुम भी जियो
मेरी खुशी में तुम आके गले मिलो
यूँ अजनबी तो ना बनो,
कभी तुम भी कॉल कर लिया करो
मेरे दिल के आइने में
खुद को झाँक लिया करो
जो मैंने तेरी मंदिर बनाई है,
कभी दर्शन दे दिया करो
मैं जो रूठूँ तुम मना लिया करो,
जो ना मानूँ तो गिफ्ट ले आया करो
अपना बनाने के तरीके तो हज़ार हैं,
कभी एक भी आजमा लिया करो
इतना नहीं तो बस,
मेरे वजूद को तवज्जो दे दिया करो।