नारीत्व
नारीत्व
नारी अपना नारीत्व सिद्ध करती है
वो हर माह खुद से ही तो लड़ती हैं
वो हर माह मन से परिवर्तित होती है
वो मंदिरों में जाने से कतराती है
वो पावन खुद को हर माह करती है
वो खुद ही जननी है
वह जन्म देने की अधिकारिणी है
हर माह वह साबित करती है
वो चुप रहकर मासिक धर्म पूरा करती है
यही रक्त कणकाये है जो
नारी का नारीत्व सिद्ध करती है ।
