नारी
नारी
मेरे छंदों का राग बनकर गीत सजाती हो।
राधा सी प्रीत निभाकर मेरा मान बढ़ाती हो।
सागर-सा अस्तित्व तुम्हारा।
लहरों-सी बनकर ताजगी बढ़ाती हो।
मेरे छंदों का राग बनकर गीत सजाती हो।
राधा सी प्रीत निभाकर मेरा मान बढ़ाती हो।
सागर-सा अस्तित्व तुम्हारा।
लहरों-सी बनकर ताजगी बढ़ाती हो।