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Shailaja Bhattad

Abstract

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Shailaja Bhattad

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मतदान

मतदान

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अपने कर्तव्य का बोध कर।

 मात्र एक वोट कर 

 राष्ट्र धर्म के पालन में

 नव निर्माण की चाह में 

घर से बूत तक अपना कर्तव्य पथ कर।

यह सफर तू तय कर।


इससे पहले लेकिन तू तय कर।

वोट की मुहर मस्तिष्क में नोटकर।

सोचकर समझकर देश को मजबूत कर।

 बाकी सब छोड़कर सिर्फ तू वोट कर।

देश को सशक्त कर कर्तव्य अपना पूर्ण कर।


फर्ज अपना वोट कर तू सिर्फ वोट कर।

संविधान में लोकतंत्र है लोकतंत्र को मजबूत कर।

 वोट कर तू सिर्फ वोट कर।

 चिंता की चिता जले बदलाव की लहर चले।

 समाज में सुधार कर सही अपना चुनाव कर।


 लोभ-लिप्सा छोड़कर राष्ट्र की बात कर।

 राष्ट्र की पतवार बन राष्ट्र को मजबूत कर।

उड़ती अफवाहों से सबको किनारे कर।

हर बाधा को तोड़-मरोड़ अनुशासन से जोड़ कर।

एक एक ग्यारह कर।

 राष्ट्र को संगठित कर

 राष्ट्रहित की बात कर।


  राष्ट्रहित में काम कर।

  मतदान की ललक जगा।

   विकास की अलख जगा।

   उदासीनता पर चोटकर।

    जिम्मेदारी में न खोटकर।


तेरा यही धर्म है यही तेरा कर्म है।

धर्म की राह चल कर्तव्य अपना पूर्ण कर।

 तू हीरा है हीरे की पहचान कर।

 लोभ-लिप्सा छोड़कर सही तू चुनाव कर।

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 मत दे उसे जो है सही।

 शक नहीं इसमें कि 

   फिर जीते वही।


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