माँ अम्बे भवानी
माँ अम्बे भवानी
पूर्ण होते विधि-विधान
दूर करती हर व्यवधान
जब होती भक्ति माता की
मां अंबे कृपा निधान की
निर्मल जीवन हो जाता
घर-घर तीर्थ बन जाता
माँ की महिमा अपरंपार
दिव्य कांति माता की
मां अंबे कल्याणी की
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भक्त शीश नवाते हैं
फल-फूल, प्रसाद चढ़ाते हैं
मां अंबे को ध्याते हैं
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है आरती अष्ट भवानी की।
ज्योतिर्मय कल्याणी की।
अरदास तुम्हारी करते हैं।
मन नवचेतन करते हैं।
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कालजयी माता की प्रासंगिक हर कहानी है।
चिंतन में नवचेतन भरती,
मंगल करती मां जागृत करती।
वाणी को परिष्कृत करती।
उज्जवल माता का धाम है।
जन-जन का सुख धाम है।
माता को कोटि प्रणाम है।
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अंतःकरण शुद्ध हो जाता ।
राग द्वेष सब मिट जाता।
माँ के परमधाम में।
यह संभव हो जाता।
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अविरल ऊर्जा संचार है।
मुखर हर भाव है।
विलक्षण माता का रूप।
दैदीप्यमान संसार है ।
माता की कृपा अपार है।
परहितार्थ प्रार्थना
मंगल सुविचार है।
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चिंतन मनन समर्पण साजे।
माता हर घर में विराजे।
जग जननी का रूप मन मोहे।
भक्त झूमे संग लिए गाजे बाजे।
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आस्था के केंद्र में स्थापित है।
आशीष रहे मां का भाव सुमन अर्पित है।
मां का ध्यान है माता के कीर्तन में।
माता का आशीर्वाद सब पर नही कोई वंचित है।
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