नारी सुरक्षा : एक ज्वलंत मुद्दा
नारी सुरक्षा : एक ज्वलंत मुद्दा
क्यों नारी
तथाकथित आधुनिक समाज में
बार-बार यूँ
'विकारग्रस्त' लोगों की
कलुषित मानसिकता का
आसान 'लक्ष्य' बनती है ?
क्यों नारी प्रायः
किसी गिरोह की
'पाशविकता' की
आसान शिकार बनती है ?
क्यों नारी
तथाकथित आधुनिक समाज में
आपराधिक मानसिकता एवं
अकल्पनीय, घृण्य दुर्व्यवहार का
शिकार बनती रहती है ?
क्यों नारी यूँ
बेइंतहां हिंसा एवं
असहिष्णुता का
'शिकार' बनती है ?
वो १६ दिसंबर २०१२ की
दक्षिण दिल्ली की
'मुनिरका' हो,
२७ नवंबर २०१९ की
हैदराबाद की 'शमसाबाद' हो
या ९ अगस्त २०२४ की
पश्चिम बंगाल की
'कोलकाता' हो --
हर जगह
एक नारी ही
किसी गिरोह की
आपराधिक, 'कलुषित'
मानसिकता का शिकार बनी है
एवं अपनी बेशक़ीमती
जान गंवानी पड़ी... !
इस मानव जाति को
'शर्मसार' करनेवाली,
नारियों के साथ घटनेवाली
ऐसे जघन्यतम, अवर्णनीय,
अकल्पनीय मानसिक एवं शारीरिक
अत्याचार व दुर्व्यवहार का
अंत कब और कैसे होगा --
यही एक ज्वलंत 'मुद्दा'
बन चुका है !
निस्सन्देह आज
इस समाज में
हरेक नारी को
मान्यता देने की
घड़ी आन पड़ी है...
उनके साथ
मानवीय एवं
सहिष्णुतापूर्वक
सद्व्यवहार करना
हरेक सत्पुरुष का
परम् 'कर्तव्य' है ।
आज नारी को
असुरक्षा के भाव से
मुक्त करने की
ज़रूरत आन पड़ी है !
नारी सत्ता को
'यथोचित' मान-सम्मान व
गरिमा देने की
घड़ी आन पड़ी है !
पुरुषार्थ यही है कि
हरेक सत्पुरुष के अंतर्मन में
किसी भी नारी के लिए
'आवाज़ उठाने का'
अदम्य साहस हो, आत्मशक्ति हो... !
आइए, आज इस राष्ट्र की
हरेक पुरुष एवं नारी
सुसंगठित होकर
सुसंस्कृत सामाज व्यवस्था का
'पुनः जागरण' करें... !
आइए, हम अपनी
एकता की शक्ति का
सही परिचय देंं
एवं इस समाज में
'चौकन्ना' रहकर
गुज़रबसर करें... !
आइए, हम अपनी
आवाज़ बुलंद करें
और सशक्तिकरण से कहें --
"हम सब एक हैं !!!"
आइए, हम सब
साथ मिलकर
इस समाज को
नरक में 'रुपांतरित' होने से
बचाएं... !
