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Rajeewa Lochan Trivedi Varidhi Gatoham

Classics Inspirational

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Rajeewa Lochan Trivedi Varidhi Gatoham

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नारी की महिमा

नारी की महिमा

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नारी को अबला कहें, चक्षुहीन अज्ञात।

पर नारी अबला नहीं, तथ्य जगत विख्यात।1।


नारी शक्ति प्रदायिनी, मृदा उर्वरा रूप।

जो इनको समझे नहीं, समझो बालस्वरूप।2।


प्रकृति -रूपा दायिनी, दिव्य ओज परिपूर्ण।

नहीं पुरुष सम निर्बला, तथ्य ज्ञात संपूर्ण।3।


कन्या कम है जन्मतींं, बालक कुुुछ अधिअंक।

मगर अवस्था युुवा तक, सम हो जाते अंक।4।


है जिजीविषा अधिकतर, नारी की संंपुष्ट।

पर कम होती पुरुष की, ज्ञात तथ्य परिपुष्ट।5।


इसीलिए होती विदा, नारी पति के गेह।

अनुकूलित कर डालती ,खुद को निस्संदेह।6।


कर देंं यदि पति को विदा, पत्नी के घर द्वार।

न अनुकूलन होएगा, पति होगा बीमार।7।


अनुकूलन नारी करे, जैसे धरा अनूप।

नर ऐसा ना कर सके, ताकत नहीं स्वरूप।8।


 शब्दों का आगार है,नारी का संपन्न। 

 नर भी इसमेंं विफल हैंं, हैंं दयनीय विपन्न।9।


नारी की महिमा बड़ी, नारायण वामांंग।

ध्यानी की वह तपस्या, ज्ञानी का अर्धांग।10।


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