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Usha Gupta

Classics

4  

Usha Gupta

Classics

जीवन एक खेल

जीवन एक खेल

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जीवन है एक राजनीति, 

इसे जीने के लिये खेलते हैं खेल सभी,

जीतने, हराने या हारने के लिये।


प्यार, प्रतियोगिता, परीक्षा में जीतने का खेल;

यहाँ तक कि कोई प्यार में हारने तक का भी खेल जाता है खेल।

है कितना विचित्र यह जीवन,

बच्चे माता-पिता का जीतने को प्यार खेल जाते हैं खेल,

तो माता-पिता भी खेल जाते हैं खेल वश में रखने के लिये बच्चों को।


जीवन है एक राजनीति, 

इसे जीने के लिये खेलते हैं खेल सभी,

जीतने, हराने या हारने के लिये।


खेलते हैं खेल कुर्सी का,

छीनने का, गिराने का या फिर उसे बचाने का।

प्रतियोगिता में आने को प्रथम, 

उचित अनुचित का भेद भी नहीं रहता याद,

जीतने से भी अधिक रहती लालसा हराने की।


जीवन है एक राजनीति, 

इसे जीने के लिये खेलते हैं खेल सभी,

जीतने, हराने या हारने के लिये।


नैतिकता को रख मन मस्तिष्क में,

खेलने वाले जीत जाते हैं हर खेल हार के भी,

अनैतिकता को हटा परे, जीत लेते मन सभी का,

काश! खेलें सभी प्रत्येक खेल ऐसे ही,

न हारेगा कोई न होगा निराश।


जीवन है एक राजनीति, 

इसे जीने के लिये खेलते हैं खेल सभी,

जीतने, हराने या हारने के लिये।


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