कामना
कामना
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काव्य : हे माते
शीर्षक : कामना
हे मातु! तुमने थामा हाथ , देखो तभी लगी वीणा बजने
हो गया सब एक साथ, विश्व की द्विविधा मिटी मिटा मायाजाल।
खिल-खिल गई डाली फूल, रँगनें को मुख हुई बेकल
सारंग के पथ की धूल हुई, रंजन सुखद विमल धवल।
आश्रय में मृत्यु का, मिट जाये सारा वियोग
मिल जाये आनन्द का पथ, पाथ के लिये सँवरी ये सृष्टि।
पावस के जल भरे बादल, जैसे चले मदमाते से गगन में
मीठी पवन फुहार लिये, हो अनुसर लगी मिलने गले।
झुका हुआ डाल जैसे, पूतफल कामांग महारस फले-फले
नेह अनुराग से सुने, सद्गुणी-कथा प्रपंच परित्याग किये।