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Jyoti Naresh Bhavnani

Classics

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Jyoti Naresh Bhavnani

Classics

मां और मातृभूमि

मां और मातृभूमि

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हैं मुझको तो प्यारे दोनों,

मेरी माँ और मेरी मातृभूमि।


हैं दोनों के मुझपर उपकार कई,

जिनको मैं चुका सकूँ कभी नहीं।


मेरी माँ ने मुझको जन्म दिया,

मातृभूमि ने मुझको दी पनाह।


माँ से मुझको प्यार मिला,

मातृभूमि ने गोद में रखा सदा।


संस्कार दिये मुझे मेरी माँ ने हमेशा ,

मातृभूमि ने दी मुझको हर सुविधा।


कैसे भूलूं ममता मैँ दोनों की,

कैसे भूलूँ दोनों के बलिदान।


क्यूँ न रहूँ मैँ साथ सदा दोनों के,

बन के नेक और ईमानदार।


क्यों न फख्र करूं मैं दोनों पे,

कर दूं सब कुछ उन पर क़ुर्बान।


मिला सब कुछ तो उन्हीं से मुझे,

फिर क्यों न रखूँ मैँ उनका ध्यान-2


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