STORYMIRROR

Rajeewa Lochan Trivedi Varidhi Gatoham

Others

4  

Rajeewa Lochan Trivedi Varidhi Gatoham

Others

निर्लज्ज व्योम संस्कारी धरा 1

निर्लज्ज व्योम संस्कारी धरा 1

1 min
402

कोहरा जस घूंघट लगे ,भाप लगे निःस्वांस।

हरित आभ द्रुम दल दिखे , पट-नारी से खास।1।


ओस कणों की चमक थी, जस आभूषण श्वेत।

धरा दिखी सम नायिका ,हुई कल्पना चेत।2।


व्योम क्षितिज से झांकता, लज्जा हीन अशंक।

तीर कुसुम-धनु तीव्रतम, उसे मारते डंक ।3।


व्योम क्षितिज में झुक रहा, हेतुुु निवेदन तप्त।

मगर नायिका सी धरा, दिखी शर्म आतप्त।4।


आलिंगन से टूटता ,निजता का अधिकार।

मुख मंडल तब धरा का, लाल किया प्रतिकार।5।


कलरव पंछी कर रहे, देख अनैतिक वाद।

कृत्य धरा के संग जो, उस पर बढ़ा विवाद।6।


पिता सूर्य आवेश में, रक्त उबलता लाल।

धरणींं को समझा रहा, चुप बेेेटी इस काल।7।


क्रमशः आगामी अंक में रविवार दिनांक 14/03/21



Rate this content
Log in