संयम अनुकरणीय
संयम अनुकरणीय
वर्षगांठ 70 महा, संविधान का कॉल।
जनजन उठकर प्रात, में ज्यादातर खुशहाल।1।
जोश और उत्साह भी, छूते थे आकाश।
कोरोना विकराल का, भूले सभी विनाश।2।
मकर पाक नापाक ने, चली धूर्त थी चाल।
उसमें फसते बहुत से, बड़बोले वाचाल।3।
भूल गए वह देश का, गौरवमय इतिहास।
हुए अराजक शान से,बने स्वयं उपहास।4।
भूल गए बेहोश वे ,बदहवास मदहोश।
अबला पर हमला किए, बहु देखे खामोश।5।
मगर सुरक्षा बलों का, संयम अनुकरणीय।
वारिधि उनकी सौम्यता, उत्तम अरु कथनीय।6।
भारत बनता इन्हीं से ,उत्कट विकट महान ।
नहीं अराजक तत्व से, कतिपय स्वार्थ प्रधान।7।