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Rajeewa Lochan Trivedi Varidhi Gatoham

Others

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Rajeewa Lochan Trivedi Varidhi Gatoham

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शिव शिव शिव निष्पाप-1

शिव शिव शिव निष्पाप-1

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शिव शाश्वत अस्तित्व है, कॉल तीन निरपेक्ष।

श्रीगणेश जीवन यही, अंत मृत्यु परिप्रेेक्ष।1।


शिव शाश्वत सद्प्रेरणा, कारण सब शुभ कार्य।

अरु विनाश सब अशुभ का, नियत कॉल अनिवार्य।2।


शिव शाश्वत संचेतना, व्यापक अरु निष्पक्ष।

 गुणातीत यह देह से, विज्ञ सर्व प्रत्यक्ष।3।


शिव शाश्ववत सौंदर्य हैं ,चर्म स्वरूप न देह।

 जाननहाारे सभी हैं ,निस्संदेह विदेह।4।


शिव शाश्वत संतोष हैंं ,नहींं कामना पुष्ट।

प्राप्त कर्म प्रारब्ध सेे, होना है संतुष्ट।5।


शिव शाश्ववत अनुराग हैंं, प्रकृति जीव परमार्थ।

नहींं भाव संकीर्ण ये, स्वार्थ सिद्धि निहितार्थ।6।


शिव शाश्वत अनुभूति हैं, हेतु जगत कल्याण।

अभ्यंतर की प्रेरणा, कालातीत प्रयाण।7।


शिव शााश्वत वैराग्य हैं , प्रत्याहार समाधि।

मुक्ति प्रदाता वासना, निर्मूलक सब व्याधि।8।


शिव शाश्वत बस सत्य है निराकार निर्मोह।

इनका यदि चिंतन करें ,कभी न व्यापे मोह।9।


शिव शाश्वत ही स्रोत हैं, शक्ति अजस्र अपार।

 यदि कुंडलिनी जागती, शिव सहस्र पर सार।10।


शिव शाश्वत अद्वैत हैं, चिंतन ध्यानातीत।

निर्विचार समभाव में,प्रगट समाधि विनीत।11 ।


शिव शाश्वत ही जगत में, मिथ्या  सभी विशिष्ट।

 शिव सब में अंतर्निहित, सुर अरु असुर अशिष्ट।12।


शिव शाश्वत संतुष्टि हैं ,तन मन धन परित्याग।

प्रत्याशा इनमें नहीं, सत्य वृृृत्ति वैराग।13।


शिव शाश्वत व्यवहार हैं, देना है परितोष।

भले गरल पीना पड़े, आशुतोष संतोष।14।


शिव शाश्वत सौजन्य्ता, दोष रहित संकल्प।

नहीं कुटिलता के लिए, इसमें मान्य विकल्प।15।


शिव शाश्वत भगवान हैंं ,भावातीत सुजन्य।

सह "वारिधि" सद्प्रेेरणा, कॉल गतोहम् जन्य।16।


शिव शाश्वत सर्वज्ञ हैं, आदि अंत अरु मध्य ।

सृजन पूर्व की चेतना ,अरु विनाश भवतब्य।17।


शिव शाश्वत परिवृत्ति हैं ,सकल जगत आधार।

मनसः वाचा कर्मणा ,शुद्ध आचरण सार।18।


शिव शाश्वत विज्ञान हैंं, ज्ञान ध्यान आनंंद।

 निर्मल परिमल चेतना ,निर्गुण परमानंद।19।


शिव शाश्वत संकल्प हैंं, हेतु सकल त्रयलोक।

 निर्भय हर एक चेष्टा, दया धर्म आलोक।20।


शिव शाश्वत संकल्पना ,यह चैतन्य मिलाप ।

 आत्मरूप निस्प्पृह यही, शिव शिव शिव निष्पाप 21।


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