चमके शीर्ष उच्चतम स्तर
चमके शीर्ष उच्चतम स्तर
संविधान की सुखद नजारे, घुल मिलकर हम रहते सारे।
भाषा विविध वेषभूषा पर, दिल में भारत बसा हमारे।
अलग प्रांत अरु लक्ष्य हमारे, गौरव गान करें मिल सारे।
ऊंच-नीच के भेदभाव का, संविधान मुक्ति दातारे।
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम, दूर क्षितिज के छोर अनंत।
संविधान की ध्वजा पताका ,फहराना हर हाल दिगंत।
आज नया उत्सव है आता, संविधान का जिससे नाता।
लेकर साथ शपथ जुट जाएं ,नाम देश का खूब बढ़ाएं।
सभी स्वार्थ से ऊपर उठकर, करें काम हम सब मिलजुल कर।
भाल भारती मात गगन पर, चमके शीर्ष उच्चतम स्तर।