इक जादू सा है तेरा इश्क़
इक जादू सा है तेरा इश्क़
जादूगरनी सी है तू,
और इक जादू - सा है तेरा इश्क!
जादू- सा है तेरा स्पर्श!
जो जिस्म से जिगर तक एक सुकून की कंपन बन,
मुझपे हमेशा नशा की तरह छाई रहती है !
तेरे मात्र एक स्पर्श से मेरे सारे घाव भर जातें हैं !
सारे ग़म ! सारे तकलीफ! सारी पीड़ा!
सब तेरी मुस्कान भरी जादू से खत्म हो जाता है!
जब तुम मेरे रूह के करीब आती हो,
शरीर में हल्की सुकून भरी सिहरन महसूस होती है !
जो हमेसा नशा बन हरपल, हरवक़्त ,
मेरे दिल की फिज़ा में खुशबू बन गमकती रहती है!
जो मेरे अंदर तक जाती है।
और जब रूह का तेरी रूह से जब स्पर्श होता है,
कंपन -सा महसूस होता है मेरे दिल में !
तुम्हारे इश्क का जादू मुझपे कुछ कदर छाई रहती है !
जी करता तुझे हरपल अपनी बाहों में लेकर सुकून की पलें बिताऊँ,
तुझे अगर धूप लगे तो मैं छांव बन जाऊँ !
तुझे हर पल अपने साथ, अपने पास बन जाऊँ !
सच में जादूगरनी-सी है तू !
और इक जादू-सा है तेरा इश्क।