नाज
नाज
मुझे कुछ और जमाने से क्या
उन पर मुझे बहुत ही नाज है
चाहने वाले तो उन्हें बहुत है मगर
मेरे दिल पर सिर्फ उनका ही राज है
मुझे कुछ और जमाने से क्या
उन पर मुझे बहुत ही नाज है
उन्हें देखूँ उन्हें चाहूँ उनके साथ चलती जाऊँ
अब अन्त समय तक बस यही काज है
मुझे कुछ और जमाने से क्या
उन पर मुझे बहुत ही नाज है
लाख शोहरत पा भी लूँ दुनिया में
साथ उनके चलना ही मेरे सर का ताज है
मुझे कुछ और जमाने से क्या
उन पर मुझे बहुत ही नाज है
उड़ने भी लगूंँ गगन में पंछी की तरह
उनकी हथेली ही मेरी परवाज है
मुझे कुछ और जमाने से क्या
उन पर मुझे बहुत नाज है
कितने ही गीत लिखूँ मैं अपनी कलम से
हर गीत में छुपा हुआ उनका ही साज है
हमें कुछ और जमाने से क्या
उन पर मुझे बहुत ही नाज है।