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ना धर्म पर, ना जात पर,

ना धर्म पर, ना जात पर,

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ना धर्म पर, ना जात पर,

करना है मुझसे तो रोटी की बात कर।


जाति धर्म से कभी भूख नहीं मिटती,

उदर डोलता है मेरा सब्जी पर भात पर।


रामजी, मोहम्मद जी ईश्वर होंगे तेरे,

तुझको मिलते हैं जा तू ही मुलाकात कर।


मिलते हैं राम गर मोहम्मद तो कहना,

फुर्सत में कभी देखलें हमारी हालात पर।


अल्लाह जो तेरे होते ये काबा औ काशी,

मरते गरीब क्यों रोटी और भात पर ?


थक गया हूँ चल चल के मस्जिद के रास्ते,

पेट मेरा कहता है अब तू इन्कलाब कर।।


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