ना छूटनेवाली आदत
ना छूटनेवाली आदत
कहने को लाखों लोग महफिल में
पर मेरे जैसा कोई ना तुझे मिल जाए
तूझे आदत हो मेरी कुछ इस तरह की
तू चाहे तो भी ना छूट पाए
हाँ, खयाल मेरा कुछ ऐसा है
जो मिला मुझे तू मेरे ही जैसा है
तू जिस्म भी छुए तो रूह तक उतर जाए
रंग चाहत का कुछ ऐसा हो कि
तू चाहे तो भी ना छूट पाए
सर दुनिया में तेरा ना झुके कभी
दुआ है तो जिंदगी में ना रुके कभी
पर मेरा सर झुके तेरे कदमों में तो
तेरा सर भी मेरे सामने झुक जाए
एक अटूट सा बंधन ऐसा हो कि
तू चाहे तो भी ना टूट पाए
बड़ी दुआओं से तुझे पाया है
सपनों का आशियाना बनाया है
तू रब को ढूंढे दर-बदर और
मुझे मेरा रब तुझ में दिख जाए
तूझे ईबादत हो मेरे चाहत की इतनी की
तू चाहे तो भी दूर कभी ना जाए
ये जिंदगी यू ही चलती रहें
बीच सफर में ना कभी रूक पाए
एक आदत हो तुझे मेरे जैसे
जो चाहकर भी ना छूट पाए!