ना चाहते हुए भी
ना चाहते हुए भी
ना चाहते हुए भी
पंछी होते है कैद पिंजरे में
उड़ने की उम्मीद को
दबाये रेहते है सीने में
ना चाहते हुए भी
जख्म होते है गहरे बदन पे
दर्द सहना पड़ता है
चोट लगती है जब दिल पे
ना चाहते हुए भी
ताने सुनने पड़ते है लोगों के
खुद को बदलना जरूरी है
इरादे बदल जाएंगे लोगों के
ना चाहते हुए भी
अपनो से दूर जाना पड़ता है
दूरियों को मिटा सके
तो सपनों सा जहां लगता है