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Husan Ara

Classics

5.0  

Husan Ara

Classics

मुलाकात

मुलाकात

1 min
183


तेरे लफ़्ज़ों को अपनी खामोशी से मात कर देता हूँ

रिश्तों की खूबसूरती बनी रहे वो बात कर लेता हूँ


चांद तारे जन्नत देखने की जो चाहत होती है कभी

अपने शहर जाकर माँ बाप से मुलाकात कर लेता हूँ


कहने को वक्त खाली नही होता मेरे पास

मोबाईल में लगे लगे आधी रात कर देता हूँ


किसी छोटे बच्चे को मज़दूरी करते देखकर तड़प उठता हूँ

अकेले क्या करूँ, आई गई बात कर देता हूं


ख़्वाहिशों की ख्वाहिश इस कदर करता हूं

सुकून की फ़िक्र में बेसुकून दिन रात कर देता हूँ


कहना बहुत कुछ चाहता हूँ, चीखना चिल्लाना था मुझे

रिश्ते दोस्तियां बचाने को, काबू जज़्बात कर लेता हूँ


तुम्हारे ना आने का ग़म भी अब होता नहीं

तन्हाई में तेरी यादों से मुलाकात कर लेता हूँ।


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