मुलाकात
मुलाकात
तेरे लफ़्ज़ों को अपनी खामोशी से मात कर देता हूँ
रिश्तों की खूबसूरती बनी रहे वो बात कर लेता हूँ
चांद तारे जन्नत देखने की जो चाहत होती है कभी
अपने शहर जाकर माँ बाप से मुलाकात कर लेता हूँ
कहने को वक्त खाली नही होता मेरे पास
मोबाईल में लगे लगे आधी रात कर देता हूँ
किसी छोटे बच्चे को मज़दूरी करते देखकर तड़प उठता हूँ
अकेले क्या करूँ, आई गई बात कर देता हूं
ख़्वाहिशों की ख्वाहिश इस कदर करता हूं
सुकून की फ़िक्र में बेसुकून दिन रात कर देता हूँ
कहना बहुत कुछ चाहता हूँ, चीखना चिल्लाना था मुझे
रिश्ते दोस्तियां बचाने को, काबू जज़्बात कर लेता हूँ
तुम्हारे ना आने का ग़म भी अब होता नहीं
तन्हाई में तेरी यादों से मुलाकात कर लेता हूँ।