मुलाकात
मुलाकात
सफ़र में कई मोड़ आयेंगे अभी,
कभी तो उससे मुलाकात होगी।
उसी के लिए कर रहा हूं सफ़र,
कभी तो उससे मेरी बात होगी।
पूछूंगा अपनी वफ़ा के बारे में,
क्या मैंने क्या था भला कसूर।
वादा करके भी तुम चली गई,
आखिर किस मजबूरी से दूर।
दिल तो तुम्हें ही दे दिया हूं मैं,
सीने में जो है वो है ज़ख्म नासूर।
तुम्हारे साथ ही मुस्कुराया था,
तुमने ही बदला था मेरा फितूर।
मैं सोचता हूं इस बार ज़रूर,
उसकी आंखों से बरसात होगी।
सफ़र में कई मोड़ आयेंगे अभी,
कभी तो उससे मुलाकात होगी।
